दिलो में ये जो हर्ष है
नव वर्ष का जो स्पर्श है
किसी ने पाई मंजिलें
किसी ने पाया दर्द है
जब वक़्त आगे बढ़ गया
तब तू रुक हुआ है क्यूँ
मिटा दे उस याद को
जो सताए दिन रात यूँ
ज़िन्दगी के खेले में
हर रोज़ एक मेला है
हर दुःख भुला कदम बढ़ा
नयी सुबह की ये बेला है
हर दिन नया मुकाम पा
जो डट के तू खड़ा रहे
ऐसा ही रूबाब ला
ये वक़्त भी टलेगा
जो तू चाहे वो मिलेगा
आ आगे बढ़ कर ; इस समय से प्यार कर
दोनों बाहें खोल कर ; नव वर्ष का स्पर्श कर ....................
आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना ..... कश्यप द्विवेदी
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