Story and Poetry Spot.........Musafir
Monday, July 26, 2021
इत्र
कहां हो ? नाराज़ हो ?
या.. यूं ही.. बेपरवाह..
छुपी हो, समेट कर
बेखुदी की बेतुकी वजह
तेरे इत्र की कपास, न जाने
कबसे मेरे पास है
जो रोक रही है वजह..
वही सबसे खास है..
कश्यप द्विवेदी
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