Sunday, January 27, 2013

ज़ज्बात



तू ज़िन्दगी है मेरी
सुकून तुझसे है मेरा

तू साथ है सदा मेरे
यकीन तुझपे है मेरा

नमी ये कैसी आँख मे ; बता तुझे मै प्यार दूँ
क्यूँ बिखरा है ये मन तेरा ; आ तुझे संवार दूँ

जो सवाल तेरे मन मे ; जला रहा है तुझे
तेरे हर सवाल का आ तुझे जवाब दूँ

ये सुर्ख मिजाज़ , बेरंग लिबाज़
क्यूँ ओढ़े  है ये तन तेरा

थामे हाथ चल संग मेरे
तेरी चूनर मै  रंग दूं

तस्वीर बन कर  इस तरह ; ना देख एक टक मुझे
आ ज़िन्दगी में आ मेरी ; किस्मत अपनी संवार लूँ

हथेलियॊ मे रख तुझे ; करूँगा प्यार बेपनाह
चाह में तेरी सारी  ज़िन्दगी गुज़ार दूँ


                                           
                             
                                                        कश्यप द्विवेदी 

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