Story and Poetry Spot.........Musafir
Monday, July 26, 2021
इत्र
›
कहां हो ? नाराज़ हो ? या.. यूं ही.. बेपरवाह.. छुपी हो, समेट कर बेखुदी की बेतुकी वजह तेरे इत्र की कपास, न जाने कबसे मेरे पास है जो...
Tuesday, March 16, 2021
छलकती स्याही यादों की
›
महकती यादों के गुल बाग से चुनता रहता हूं इक याद तुम्हारी, ही वजह जो ख्वाब पिरोता रहता हूं मखमली सुबह हो या सुहानी शाम का आलम हर दिन सुन्हरी ...
Saturday, March 6, 2021
डाफ़ाचूक (confused) मेवाडी भाषा में एक कोशिश
›
मालण पोए मोगरा, वी गजरा री ठाठ कमल, हजारी ढुंढता, जो मैं किदी वात पुछे मने अचान चुंक, कंणिने पेराओगा पुजारी हो प्रेम रा, या मिंदर ही ले जाओग...
Monday, February 1, 2021
"राबता"
›
मरम्मत जो की तुमने मेरे दिल ऐ बेहाल की तो, पूछता हुं अब, उस रब से की ईबादत, किसकी करूँ कहता हे वो भी कमाल, कुछ युं 'गर दिल म...
Thursday, January 7, 2021
कहां हो यारों
›
न जाने कहां, है वो दिन जब मिलने के बहाने, होते न थे किस्से कुछ तेरे, कुछ मेरे सुनने के वादे, पुराने न थे ढूंढ रहा हुं फिर तुम्हे...
Monday, November 30, 2020
बेफिक्र इश्क
›
चला जाता हूं आज भी, उस गली जहां हम मिले, फिर आज ले चलुं तुझे वहां, जहां दिये, अब भी जल रहे, कहानियों का शौक तुझे, लिखता मै भी हुं कभी, जो रु...
Wednesday, April 8, 2020
मन का मुसाफिर
›
हुं मन का मुसाफिर, हर राहगीर मेरा हमसफर नहीं, रास्तों से है इश्क मुझे, मंजिल, मकबरों से नहीं, वजह तुझे पाने की, कि साथ ले चलुं त...
›
Home
View web version