Tuesday, April 7, 2020

तेरी मेरी कल की बातें

उन खो गई सी खुशबूओं को, मेहफूज फिर से कर लिया
खनखनाती प्यालियों को, फैज़ हमनें कर दिया

क्या अब भी उस अलाव सी, धधक रही हो तुम कहीं
बिसरी हर बात पर, खामोश, खफा, तुम सही

लो आज करें फैसला, बांधे फिर हौंसला, लिखें पंक्ति फिर नयी
मिटा शिकवे ठान लें, न थी तुम गलत, न था मैं सही


कश्यप द्विवेदी

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