Monday, November 30, 2020

बेफिक्र इश्क

चला जाता हूं आज भी, उस गली जहां हम मिले,
फिर आज ले चलुं तुझे वहां, जहां दिये, अब भी जल रहे,

कहानियों का शौक तुझे, लिखता मै भी हुं कभी,
जो रुको, तो सुनाऊं, एक किस्सा, इश्क का अभी,

दबी सी मुस्कान तेरी, जो कहती 'हां' अभी तो हूं,
सुनाओ कुछ हसीन, जहां साथ तुम्हारा मैं भी दूं,

कश्यप द्विवेदी

No comments:

Post a Comment