Friday, October 11, 2024

शिकायत

कहता हैं, बदल गई हो तुम,
पहले सा, अब कुछ नहीं 

मैं हाज़िर, कह गई जवाब में 
तुम सा हसीं, कोई और नहीं 

चुप था शिकायती, क्षणिक
फिर बोला...

"कि, शिकवा ही तो की, 
जब की, तुझको तेरी,

तो, लिख लो हिसाब में कहीं,..

चुका देना, कभी, कर शिकायत,
गर मिल जाए, मेरी...."

कश्यप द्विवेदी

No comments:

Post a Comment