आओ फिर खेले रंग ....... एक नयी उम्मीद संग ..
हाथ अबीर गुलाल है .. जिगर में जशन-ऐ-मलाल है...
देख मुसाफिर देख आसमा कितना रंगीन है...
चेहरों से खुश दुनिया कितनी गमगीन है....
यहाँ हर चेहरे पर एक नया रंग है
तू चार कोस चल अकेले, फिर नया संग है ...
वक़्त की इस राह पर न जाने कितने हम सफ़र
न भूल अपना रंग तू, न डगमगाना इस डगर....
कोई मैला कोई सुनहला रंग भरके जाएगी
ज़िन्दगी बड़ी दीवानी होली खेल के जाएगी ....
कश्यप द्विवेदी
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