Monday, March 26, 2012

उमंग.........


चिंता दूर करने की चिंता लिए घूम रहा मुसाफिर क्यूँ .......

मंजिल दूर नसीब है फिर मुसाफिर रुका है क्यूँ .......

दिल धीरज धरा हुआ , कमर क़टार  कसा हुआ ........

वक़्त की कमान पर  , तीर है कसा हुआ ....

उठ मुसाफिर उठ मुसाफिर आगे देख सवेरा है 

ना भूल इस जहाँ में जो तेरा है वो बस तेरा है ..






                                            मुसाफिर  (kashlogi)

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