चिंता दूर करने की चिंता लिए घूम रहा मुसाफिर क्यूँ .......
मंजिल दूर नसीब है फिर मुसाफिर रुका है क्यूँ .......
दिल धीरज धरा हुआ , कमर क़टार कसा हुआ ........
वक़्त की कमान पर , तीर है कसा हुआ ....
उठ मुसाफिर उठ मुसाफिर आगे देख सवेरा है
ना भूल इस जहाँ में जो तेरा है वो बस तेरा है ..
मुसाफिर (kashlogi)
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