Monday, February 17, 2020

तुर्की के गलियारे || 1


बेगानी गलियों में, तेरी यादें ढुंढता
भरे बाजारों में तन्हा, ही मैं घुमता

पशमीना में लिपटी, ना जाने ये क्या बात है
रोक न ले मुझे, अब किसकी, कहां मैं सुनता


कश्यप द्विवेदी

No comments:

Post a Comment