मरम्मत जो की तुमने
मेरे दिल ऐ बेहाल की
तो, पूछता हुं अब, उस रब से
की ईबादत, किसकी करूँ
कहता हे वो भी कमाल, कुछ युं
'गर दिल में बसी हो, तो कर मेरी
जो दिल दे बैठा हो, तो उसका हो जा'
तेरा दिल अब तेरा कहां
जिसे इश्क है, मुसाफिर
उसका कोई रब कहां
कश्यप द्विवेदी
(मुसाफिर)
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