हर पल तुझ पे वारी जाऊँ ... हर सांस में तेरे गुण ही गाऊं .
तुझे परवाह हो न मेरी …. तेरी माला पिरोती जाऊं ..
हर जनम में तेरा साथ मिला .. तेरे स्पर्श से हर फूल खिला
तुझ ही से मेरी सुबह शाम ... तुझ ही से मेरा सिलसिला
सोचूं कभी भूलूं तुझे .. आँखें मूँद ना देखूं तुझे ..
भोर किरण जब बांस पकड़ .. मेरा हर कदम चला ..
पल पल बिखरती इस काया को, तेरा हे सहारा मिला ..
कल काल के इस संसार में .. ह्रदय के जूठे इस अहंकार में
हर बेर न मुझसे झूठा होता .. जब ध्यान तेरा न मन में होता।
सजुं तेरे श्रृंगार से .. संवारूँ तेरी आभा से ..
विश्वास मेरा अडिग है खुद पे .. तू मिलन को आए मुझसे.
तेरे पीपल की छाऑ में .. ढेर कुबेर है मेरा सुख .
चंपा नहीं गुलाब मिला , अब मुझे काहे का दुःख।
वारी जाऊं वारी जाऊं तेरे गुण ही गाती जाऊं ,..
तुझे सोच हर माला में "हरि " नाम पिरोती जाऊं।….