Wednesday, April 8, 2020

मन का मुसाफिर


हुं मन का मुसाफिर, हर राहगीर मेरा हमसफर नहीं,
रास्तों से है इश्क मुझे, मंजिल, मकबरों से नहीं,

वजह तुझे पाने की, कि साथ ले चलुं तुझे
करुं फना वो शौक जो, अब तुझे पसंद नहीं

सब्र खुब है भरा, जो थाम लो अगर मुझे
सही है हर चोट वो, तभी तो टुटता नहीं,

रुका हुं कुछ देर और, जो मन करे गर तेरा
लुं साथ रंग और कुछ, वो चित्र जो बना नहीं

उस ओर तेरे यार और, ईधर हो यकीन तेरा
हुं मन का मुसाफिर, रकीब तु नहीं मेरा

कश्यप द्विवेदी

Tuesday, April 7, 2020

तेरी मेरी कल की बातें

उन खो गई सी खुशबूओं को, मेहफूज फिर से कर लिया
खनखनाती प्यालियों को, फैज़ हमनें कर दिया

क्या अब भी उस अलाव सी, धधक रही हो तुम कहीं
बिसरी हर बात पर, खामोश, खफा, तुम सही

लो आज करें फैसला, बांधे फिर हौंसला, लिखें पंक्ति फिर नयी
मिटा शिकवे ठान लें, न थी तुम गलत, न था मैं सही


कश्यप द्विवेदी