Monday, November 30, 2020

बेफिक्र इश्क

चला जाता हूं आज भी, उस गली जहां हम मिले,
फिर आज ले चलुं तुझे वहां, जहां दिये, अब भी जल रहे,

कहानियों का शौक तुझे, लिखता मै भी हुं कभी,
जो रुको, तो सुनाऊं, एक किस्सा, इश्क का अभी,

दबी सी मुस्कान तेरी, जो कहती 'हां' अभी तो हूं,
सुनाओ कुछ हसीन, जहां साथ तुम्हारा मैं भी दूं,

कश्यप द्विवेदी

Wednesday, April 8, 2020

मन का मुसाफिर


हुं मन का मुसाफिर, हर राहगीर मेरा हमसफर नहीं,
रास्तों से है इश्क मुझे, मंजिल, मकबरों से नहीं,

वजह तुझे पाने की, कि साथ ले चलुं तुझे
करुं फना वो शौक जो, अब तुझे पसंद नहीं

सब्र खुब है भरा, जो थाम लो अगर मुझे
सही है हर चोट वो, तभी तो टुटता नहीं,

रुका हुं कुछ देर और, जो मन करे गर तेरा
लुं साथ रंग और कुछ, वो चित्र जो बना नहीं

उस ओर तेरे यार और, ईधर हो यकीन तेरा
हुं मन का मुसाफिर, रकीब तु नहीं मेरा

कश्यप द्विवेदी

Tuesday, April 7, 2020

तेरी मेरी कल की बातें

उन खो गई सी खुशबूओं को, मेहफूज फिर से कर लिया
खनखनाती प्यालियों को, फैज़ हमनें कर दिया

क्या अब भी उस अलाव सी, धधक रही हो तुम कहीं
बिसरी हर बात पर, खामोश, खफा, तुम सही

लो आज करें फैसला, बांधे फिर हौंसला, लिखें पंक्ति फिर नयी
मिटा शिकवे ठान लें, न थी तुम गलत, न था मैं सही


कश्यप द्विवेदी

Monday, March 9, 2020

रंगीन मिजाज - नकाबपोश


ये रंग भी नकाब है, मलमल नही गुलाल है,
हरपल बदल के चल रही, ये जिंदगी कमाल है,

जो तुम मलो तो, कौन हो ?
जो मैं मलुं तो, मौन हो !

सुनो जरा, वो रंग हरा, छिडक न देना, तुम वहां
जहां वो अजनबी हंसी, वो झांकती सी खिडकियां

याद अब भी है मुझे, वो रंग जो पसंद तुझे
ना कर वो जिद, यकीन कर, न होगी अब वो दूरियां
लगा के रंग, हो मलंग, करे हंसी अठखेलियां


कश्यप द्विवेदी

Monday, February 17, 2020

तुर्की के गलियारे || 1


बेगानी गलियों में, तेरी यादें ढुंढता
भरे बाजारों में तन्हा, ही मैं घुमता

पशमीना में लिपटी, ना जाने ये क्या बात है
रोक न ले मुझे, अब किसकी, कहां मैं सुनता


कश्यप द्विवेदी