Monday, March 26, 2012

सपनो का दरिया..........

दरिया दरिया .... दुनिया को जोड़े रखने का प्यारा सा जरिया ....  

मंजिल मिली ... याराना मिला .... हर पल एक नयी सोच वाला बेहतरीन ज़माना मिला  ...  

सपना जो मैंने देखा ,,, था वो बड़ा अनोखा  ..... 

देख मुसाफिर  देख ये कोई धोका नहीं ...ये तो है एक प्यारी सी  हवा का झोंका ... 

समंदर के इस जहाँ में बहुत दूर तक जाना है ... सोची हुई हर चीज़ को अपने दम पे पाना है ... 

ए समंदर न भूल , ऊँचा खुला आसमान भी अपनी सुबहो शाम तुझे छु कर पूरी करता है....  

उसी तरह ये मुसाफिर अपनी हर मुराद तुझसे रूबरू  करता है ....  

चल चला चल ए- मुसाफिर , तेरी राह ये दरिया है ,,, 

खुले आसमान में खूब उड़ लिए ... गहराई में जाने का ये ही एक जरिया है .............















                                                                    
                                                                                          मुसाफिर (kashlogi)

होली ...... ज़िन्दगी का नया रंग


आओ फिर खेले रंग ....... एक नयी उम्मीद संग ..

हाथ अबीर गुलाल है .. जिगर में जशन-ऐ-मलाल है...


देख मुसाफिर देख आसमा कितना रंगीन है...

चेहरों से खुश दुनिया कितनी गमगीन है....


यहाँ हर चेहरे पर एक नया रंग है 

तू चार कोस चल अकेले, फिर नया संग है ...


वक़्त की इस राह पर न जाने कितने हम सफ़र 

न भूल अपना रंग तू, न डगमगाना इस डगर....


कोई मैला कोई सुनहला रंग भरके जाएगी 

ज़िन्दगी बड़ी दीवानी होली खेल के जाएगी ....   







   

                       

                                           कश्यप द्विवेदी  




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उमंग.........


चिंता दूर करने की चिंता लिए घूम रहा मुसाफिर क्यूँ .......

मंजिल दूर नसीब है फिर मुसाफिर रुका है क्यूँ .......

दिल धीरज धरा हुआ , कमर क़टार  कसा हुआ ........

वक़्त की कमान पर  , तीर है कसा हुआ ....

उठ मुसाफिर उठ मुसाफिर आगे देख सवेरा है 

ना भूल इस जहाँ में जो तेरा है वो बस तेरा है ..






                                            मुसाफिर  (kashlogi)