Sunday, August 5, 2012

अक्स.....

आज विवश है दिल बड़ा; ये कौन है जो संग खड़ा....
में तो आजाद आया था इस दुनिया में; फिर कौन साया ये पीछे पड़ा //

अजीब इत्तफाक है.. ना कुछ कहता न कुछ सुनता 
दुत्कारूं तो .. एक पल सहम, छुपता संभलता ...
पलट देखूं तो फिर मुझसे कदम मिलाता चलता //

ना बैर था न कोई यारी .. लगा है पीछे मेरे, छोड़ अनोखी दुनिया सारी//

यकीन है मुझे ये कोई, बहुत ही करीब है ..
इसीलिए तो मेरे साथ हर महफ़िल में शरीक है //

जाना पहचाना अंदाज़ इसका , जानी पहचानी सी हरकतें ..
जो पसंद है मेरी, वही है उसकी हसरतें//

पकड़ कलाई, बंद दरवाज़े आज कर लिया था उसे ....
पूछा बता तू कौन है ...
चेहरा छुपाए, हँस रहा था, क्यूँ मेरा मन मौन है  
आज ठान लिया है मैंने,, करूँगा बेनकाब उसे 
खुद नकाब हटा कर बोला,,, मै हूं तेरा हमसफ़र
'दुनिया कहे अक्स जिसे' ///


                                                                                                   (मुसाफिर)