बेगानी गलियों में, तेरी यादें ढुंढता
भरे बाजारों में तन्हा ही, मैं घुमता
रंग बिरंगे पुतले, चलती फिरती अंगड़ाईयां
पुकारती हर इक नजर, मचलती बेकरारियां
कोई शौकीन, कोई बेचैन, कोई हसीन मुखौटा
मुस्कुराता, सोचकर इन मे, कोई तो हमारा होता
तडक भडक साथ साथ, जाना अंजाना चेहरा
बेफिक्र इस शहर मे, न देखा कहीं कोई पेहरा
पशमीना में लिपटी, ना जाने ये क्या बात है
रोक न ले मुझे, अब किसकी, कहां मैं सुनता
भरे बाजारों में तन्हा ही, मैं घुमता
रंग बिरंगे पुतले, चलती फिरती अंगड़ाईयां
पुकारती हर इक नजर, मचलती बेकरारियां
कोई शौकीन, कोई बेचैन, कोई हसीन मुखौटा
मुस्कुराता, सोचकर इन मे, कोई तो हमारा होता
तडक भडक साथ साथ, जाना अंजाना चेहरा
बेफिक्र इस शहर मे, न देखा कहीं कोई पेहरा
पशमीना में लिपटी, ना जाने ये क्या बात है
रोक न ले मुझे, अब किसकी, कहां मैं सुनता
कश्यप द्विवेदी